सोमवार, 10 अप्रैल 2017

".....तो फिर कहना होगा"

नहीं पढ़ सकूँगी मैं साथी!
बस दो नयनों की भाषा को,
तुम करते हो प्यार अगर मुझसे
         तो फिर कहना होगा।

नहीं बदल पाऊंगी खुद को
मैं जो हूँ और जैसी भी हूँ।
तुम करते हो स्वीकार अगर मुझको
         तो फिर कहना होगा।

नहीं बाँधूँगी बन्धन क्षणभंगुर
मगर उम्र भर की ख़ातिर,
करते हो अंगीकार अगर मुझको
          तो फिर कहना होगा।

1 टिप्पणी:

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" शनिवार 20 जनवरी 2018 को लिंक की जाएगी ....

    http://halchalwith5links.blogspot.in
    पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!


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